नौकरी चाहिए?.तो सोशल मीडिया पर करें काम।

सोशल मीडिया से तो आप सब वाकिफ हैं। वही  फेसबुक, ट्विटर..वगैहरा-.वगैहरा- जिसका इस्तेमाल आम जन रोज़मर्रा की बातचीत, गप-शप के लिए धड़ल्ले से कर रहे है। कोई दोस्तों से चैट कर रहा है तो कोई अपनी फोटो टैग।और कोई अपने मिनट दर मिनट की अप्डेटस भी न्यूज़ चैनल्स से ज्यादा तेज़ी से दे रहे है  कई  तो सिर्फ अपनी गर्ल फ्रेंड -बॉयफ्रेंड  पर नज़र रखने और उनके दोस्तों की सूचि में  हुई तब्दीली को जानने में लगे है। पर इन सब मौज मस्तियों  से परे !क्या आपको खबर है? की सोशल खातों का  प्रोफेशनली उपयोग कर आप एक अच्छी नौकरी भी पा सकते हैं??
जी हाँ। एक ज़माना था जब नौकरी की तलाश में महीनों कंपनी दर कंपनी भटकना पड़ता था। जिसमें काफी समय और धन की दरकार होती थी।और फिर! नतीजों के लिए लम्बा.. इंतज़ार! अब ये सब बीते दिनों की कहानी है। अब ज़माना बदल चुका  है। अब यदि नौकरी पानी है तो इतनी जद्दोजहद की कोई ज़रूरत नहीं है।क्योंकि  दौर आ गया है सोशल मीडिया का।  जिसने दूरियों को नजदीकियों में तो बदल ही दिया है, समय की सीमायों को भी तोड़ा  है।नए सम्बन्ध बनाने भी अब बेहद आसान हैं। सोशल मीडिया के इसी गुण ने नियोक्ता - कर्मचारी को भी निकटता प्रदान की है। इस मीडिया के आ जाने से भर्ती प्रक्रिया का ढांचा तेज़ी से बदल रहा है।  भारत में भी कई कम्पनियाँ नए कौशल को तलाशने के लिए सोशल साइट्स पर खाते खोल रहीं हैं।जिनमे आई.टी कम्पनियाँ जैसे एचसीएल,विप्रो,टाटा सबसे आगे हैं।कम्पनियाँ संबंधित कम्युनिटीस ज्वाइन कर रही हैं।सोशल साइट्स को उपयोगी ठहराने का आधार समय समय पर होने वाले सर्वेक्षण हैं। 2012 में शीर्ष ऑनलाइन गतिविधियों के विश्लेषण में पाया गया है कि भारत में  कुल ऑनलाइन बिताये समय में से 25.2% सोशल नेटवर्किंग में बिताया गया और लगभग 83.4% लोग फेसबुक तक पहुँच बना चुके है।जनगणना 2011 के माने तो 100  मिलियन जनता नियमित तौर पर इन्टरनेट का इस्तेमाल कर रही है। इन साइट्स पर युवाओं की भारी मौजोदगी की चलते कम्पनियों ने इस मीडिया को लक्षित किया है।एचसीएल के ग्लोबल हेड एच.आर रविशंकर.बी का कहना है की वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर एक महीने में सौ से ज्यादा भर्तियाँ कर रहे हैं।वहीँ 20 से 25%  वरिष्ट मैनेजर स्तर के पदों को भी सोशल मीडिया द्वारा ही भरा जा रहा है।भारत में कई कम्पनियों ने कर्मचारी भर्ती के लिए सोशल साइट्स की स्पष्ट रणनीतियाँ भी बना लीं है।मध्यम और ऊँचे पदों के लिए विशेष पेशेवर सोशल साईट लिंक्डइन को प्रमुखता दी जाती है।वहीँ प्रवेश स्तर के लिए युवा बहुलता वाले फेसबुक,ट्वीटर का इस्तेमाल होता है। एक तरफ जहाँ फेसबुक पर  एच.आर; जॉब प्रोफाइल से सम्बंधित कम्युनिटीज ज्वाइन कर विभिन्न उम्मीदवारों द्वारा की जाने वाली गतिविधियों पर नज़र रखते हैं।वहीँ ट्वीटर पर विशेष विषयों पर चर्चा करवाने वाले ट्वीटअप के माध्यम से अवलोकन होता है।इन सबसे परे लिंक्डइन पर सीधे तौर पर उम्मेदवार ढूंढें जाते हैं।नियोक्तायों को पहले उम्मीदवार की योग्यता,चरित्र को जानने के लिए रिज्यूमे व् अन्य कागजों पर निर्भर रहना पड़ता था।जिसमें पारदर्शिता की कमी थी। वहीँ अब सब वेब सर्च तक सीमित हो गया है।सब कुछ प्रत्यक्ष है।

अब कंपनियों को योग्यता ढुंढने के लिए खासी मशक्कत नहीं करनी पड़ रही। सोशल साइट्स पर प्रतिभा तलाशने के लिए अब कम्पनियाँ सोशल रिक्रूटमेंट यानि एस. आर मैनेजर्स को काम पर रखने लगीं हैं।कंपनियों के पेजों पर या अन्य कम्युनिटीज पर ये मैनेजेर सूचनाओं का प्रसार तो करते ही हैं।विभिन चर्चाएँ भी करवाते हैं। जिन पर एक्टिव रहने वाले यूजर को अहमियत दी जाती है। इतना ही नहीं ये कम्पनियाँ आपके पर्सनल स्पेस के साथ कोई छेड़-छाड़ भी नहीं करतीं।  तो अब आप के पास प्रतिस्पर्धा के इस माहौल में कंपनियों को अंधाधुंध रिज्यूमे मेल करने की बजाये अपनी योग्यता दिखने का खुला मंच है।जहाँ आप संभावित नियोक्ताओं के लिए खुद निजी ब्रांड बनाकर अपनी मार्केटिंग कर सकते हैं।सोशल साइट्स का इस्तेमाल कर नौकरी पाने वालों की संख्या दिन ब दिन बढती जा रही है।इस माध्यम द्वारा नौकरी पाने वालों में से एक  कानपूर का रहने वाला इंजीनियरिंग का विद्यार्थी है जिसे गत वर्ष फेसबुक कंपनी द्वारा   13,355,000 के पैकेज पर भर्ती किया गया। फेसबुक द्वारा भारत के किसी भी विद्यार्थी को दिया गया ये सबसे बड़ा प्रस्ताव है। गौरतलब है की ये प्रस्ताव,उसके द्वारा चलाई जा रही एक वेबसाइट से प्रभावित  होकर पेश किया गया। ऐसी ही पेशकश आपको भी हो सकती है। बस ज़रूरत है इस मंच को सही रूप से सँभालने की।अग्रसक्रिय दृष्टिकोण रखने की।तो सोशल साइट्स पर ऐसे क्या तरीके अपनाएं जाएँ जिससे प्रोफेशनली आपकी पहचान बन सके,भीड़ में आप अलग नज़र आयें। जानिए कुछ टिप्स....
1) अपनी पेशेवर सोशल खातों को अप टु डेट व् पूरा रखें।सोशल साइट्स के सभी फीचर्स का उपयोग करें।बैकग्राउंड इनफार्मेशन उपलब्ध करवाएं।जिससे नियोक्ता आपको आसानी से खोज सकें।
2 ) उपस्थिति दायर करवाएं। अपनी रूचि और पेशे से सम्बंधित कम्युनिटीज तो ज्वाइन करें ही, उनमे  संलग्नता भी दिखाए।
3) सम्बंधित पेशेवरों से जुड़ें।ये सम्बन्ध आपको नौकरी दिलवाने में मदद कर सकते हैं।
4) सक्रिय रहें,और सक्रिय और जिवंत व्यक्तित्वों को ज्वाइन करें।
5) रूचि से सम्बंधित कंपनियों को लाईक करें और इंडस्ट्री ट्रेंड्स पर बातचीत करें। यह नियोक्ता को अपनी विशेषज्ञता दिखने का अच्छा तरीका है।
6)मदद करें,सोशल साइट्स पर लोगों द्वारा पूछे गये पेशेवर प्रश्नों का जवाब देकर उनकी मदद करें,,एक तरफ़ा सोच न रखें।यदि आप नियमित रूप से दूसरों के प्रश्नों का जवाब देंगे,अच्छी सामग्री के लिंक्स उपलब्ध करवाएंगे तो निश्चित तौर पर आप संबंधों को मज़बूत बना रहे होंगें।
7)ब्लॉग बनाये और सोशल साइट्स के माध्यम से शेयर करें।आपके विचारों,रचनात्मकता को अपने लक्ष्यों तक पहुँचाने का,अपना ब्रांड बनाने का सुगम तरीका है।
8)अन्य चैनलों का भी करें इस्तेमाल-सोशल साइट्स के आलावा डिस्कशन फ़ॉरम व् अन्य साइट्स जैसे ब्रंचआउट,टेकगिग,बुलहॉर्न आदि  का उपयोग करें।डिस्कशन फ़ॉरम पर मुद्दे को समझें और अपना पक्ष दें।
9)नौकरी के लिए न पूछें! कर्म करते रहें! किसी ने ठीक ही कहा है फल की चाहत किये बिना कर्म करते रहें।ऐसा ही सोशल साइट्स पर करें सीधे तौर पर नौकरी के लिए बात न करें।अपने काम को अपनी बात कहने दें।महत्वपूर्ण नियोक्तायों से संपर्क साधें और उनकी सूचि बना लें।तत्पश्चात अग्रसक्रिय रहकर उनको अपनी योग्यता दिखाएँ।
10)ऊपर बताईं गयीं सभी बातों को अमलीजामा पहनाने से पहले,क्या करना है उसका निश्चित प्लान बना लें।

अंततः हम कह सकते हैं की सोशल साइट्स की जनसँख्या जैसे जैसे बढ़ेगी वैसे-वैसे ही सोशल रेक्रुटिंग ट्रेंड  निरंतर बढ़ता रहेगा।जिससे कम्पनियों को कम समय में निर्धारित प्रष्टभूमि वाले उम्मीदवार मिलेंगें।और आमजन को योग्यता अनुसार काम।








1 comment:

  1. very nicely written sukriti, thumbs up to you and moreover it will somehow or other will again convert the negative use of these social sites to the positive use because when one get the idea to get job through these sites then they will automatically start contributing good to the society. Moreover jobs through networking sites will be based on the formula of selection rather eliminating alike The Indian Army.

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