निर्भया तेरे बहाने..!!!

कर्नाटक के पूर्व डीजीपी के विवादित बयान पर निर्भया से काल्पनिक बातचीत

निर्भया तुम तो चली गई..लेकिन तुम्हारे जाने के बाद भी तुम्हारे चर्चे हो रहे हैं...इस बार जो चर्चा हुई है....वो तुम्हारे बलात्कार को लेकर नहीं बल्कि उस शरीर को लेकर हो रही है....जिसको ....गैंग रेप के बाद तुम देखकर रो रही थी...आज तुम्हारे उस उधड़े शरीर की परवाह किए बिना... लोग तुम्हारे फीज़िक का एनालसिस...कर रहे हैं... तारीफ कर रहे हैं.....और पता है ये सब कैसे हुआ......दरअसल कर्नाटक के पूर्व डीजीपी एच टी सांगलियान ने तुम्हारी मां के फिज़ीक को देखकर..ये.अंदाज़ा लगाया...और सबके सामने ये कहने में कोई शर्म नहीं की......कि अगर तुम्हारी मां का शरीर इतना सुंदर है...तो तुम्हारा यानी हमारी निर्भया का कैसा होगा..तुम कितनी सुंदर होगी ??....अरे मेरी पढ़ाकू दोस्त तेरा सपना भी तो था..कि एक दिन तेरे मम्मी पापा को तेरा एक्ज़ाम्पल दिए जाए...तो क्या हुआ जो वो तेरी पढ़ाई..तेरी हिम्मत के लिए नहीं मिला...एक लड़की के लिए सुंदरता का कॉम्पलीमेंट पाना ही तो सबसे बड़ा लक्ष्य होता है.....और हां अब कुछ लोग बलात्कार वलात्कार के बारे में नहीं सोचते...दूर तक जाती है सोच.....दूर तक.... ...
अब ये सब सुनकर..तुम खुश हो जाओ...!! अपने सारे दुख भुला दो...अब नफरत मत करना उस शरीर से..जो गैंग रेप में फाड़ चीर दिया गया था...और बार बार ये भी दोहराना बंद करो...कि आत्मा पर जो चोट लगी उसका क्या ?...अरे आत्मा वात्मा से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता...तुमको लेकर कल्पनाएं नए चरम छू चुकी हैं.....कुछ लोग सोचते हैं......कि हाय !! तुम कितनी सुंदर रही होगी...जो वो 6 पुरुष तुमको देखकर खुद को रोक नहीं पाए होंगे..?..तुम्हारी स्कर्ट कितनी छोटी रही होगी .वगैरह वगैरह...अरे तुमको क्या पता..कुछ लोगों में....तुम बड़ी मॉडर्न टाइप की लड़की बताई जाती हो..जो बड़ी आज़ाद ख्यालातों की है....नाइट फिल्म शो देखने जाती है......मस्त सा बॉयफ्रेंड भी है..तुम्हारी तारीफ इतनी हो जाती थी..कि कई बार तो बलात्कार का मुद्दा साइड में हो जाता...तुम्हारे साथ हुई क्रूरता तो किसी को  याद ही नहीं रहती...उसकी जगह बलात्कार पीड़िताओं...अरे काहे की पीड़िताएं...सॉरी ऐसा कहने के लिए...बलात्कार का मज़ा लेने वाली लड़कियों की सकर्ट्स पर बहस छिड़ जाती...अब इसी में लेटेस्ट तुम्हारे शरीर की सुंदरता का मुद्दा छाया है...तुम्हारी मम्मी ने भी डीजीपी अंकल की बातों बातों में छेड़खानी का विरोध तो कर दिया है...लेकिन हैं तो वो उसी लड़की की मम्मी ही...जिसे देखकर कुछ कुछ होने लगता है....देखो .इतनी तारीफ कर दी...तो अब ये मत कहना कि तुम्हारे साथ रेप की दूसरी छोटी छोटी बच्चियां भी अपनी तारीफ सुनना चाहती हैं...उनको कह दो....कि अभी वो बहुत छोटी हैं.....ना ही उनके पास सेक्सी टांगे हैं...ना ही मस्त सा फिगर...उनके लिए तो डीजीपी अंकल जैसे लोगों के पास भी कोई जवाब नहीं है.......

पंजाबी फिल्म लौंग-लाची में कटना चाहिए ये सीन

क्या फिल्मों में महिला के साथ घरेलू हिंसा दिखाना किसी भी तरह से कॉमेडी हो सकता है?? 
एक पंजाबी रोमांटिक कॉमेडी फिल्म 'लौंग लाची' में ऐसा सीन दिखाया गया है....जहां महिला को उसका पति कमरे में बंद करके पीटता है और दर्शकों के लिए ऐसे साउंड इफ़ेक्टस दिए जाते हैं जैसे कोई कॉमेडी सीन चल रहा हो...इसके बाद जब कमरे का दरवाज़ा खुलता है तो जख्मी महिला दिखाई जाती है....एक फ़िल्म में अपनी बात कहने के ढेरों तरीके हो सकते हैं...लेकिन ऐसा तरीका अपनाना बेहद गलत है..अब ये कहा जाए कि एक पिछड़े गांव का जो माहौल को दिखाया गया है...उसमें ये सीन फिट है...तो ऐसे निर्देशन को और बहुआयामी होने की ज़रूरत है....हैरानी है कि सेंसर बोर्ड ने इस सीन पर कैची क्यों नहीं चलाई.?..और कोई भी इसके खिलाफ बोला क्यों नहीं?...क्या घरेलू हिंसा हमारे लिए इतनी साधारण बात हो चुकी है? कि अब हम इसे कॉमेडी के रूप में भी स्वीकार कर रहे हैं..?खुदा ना खास्ता अगर ये हाल रहा तो कल को हमें कत्ल और रेप जैसे जघन्य अपराध भी कॉमेडी के रूप में दिखने शुरू हो जाएंगे.... फ़िल्म में ये सीन काटना ही चाहिए.