पंजाबी फिल्म लौंग-लाची में कटना चाहिए ये सीन

क्या फिल्मों में महिला के साथ घरेलू हिंसा दिखाना किसी भी तरह से कॉमेडी हो सकता है?? 
एक पंजाबी रोमांटिक कॉमेडी फिल्म 'लौंग लाची' में ऐसा सीन दिखाया गया है....जहां महिला को उसका पति कमरे में बंद करके पीटता है और दर्शकों के लिए ऐसे साउंड इफ़ेक्टस दिए जाते हैं जैसे कोई कॉमेडी सीन चल रहा हो...इसके बाद जब कमरे का दरवाज़ा खुलता है तो जख्मी महिला दिखाई जाती है....एक फ़िल्म में अपनी बात कहने के ढेरों तरीके हो सकते हैं...लेकिन ऐसा तरीका अपनाना बेहद गलत है..अब ये कहा जाए कि एक पिछड़े गांव का जो माहौल को दिखाया गया है...उसमें ये सीन फिट है...तो ऐसे निर्देशन को और बहुआयामी होने की ज़रूरत है....हैरानी है कि सेंसर बोर्ड ने इस सीन पर कैची क्यों नहीं चलाई.?..और कोई भी इसके खिलाफ बोला क्यों नहीं?...क्या घरेलू हिंसा हमारे लिए इतनी साधारण बात हो चुकी है? कि अब हम इसे कॉमेडी के रूप में भी स्वीकार कर रहे हैं..?खुदा ना खास्ता अगर ये हाल रहा तो कल को हमें कत्ल और रेप जैसे जघन्य अपराध भी कॉमेडी के रूप में दिखने शुरू हो जाएंगे.... फ़िल्म में ये सीन काटना ही चाहिए.

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