"आपका स्वागत है" 
धर्म के मामले में हम सब अपने आप को बहुत ज्ञानी समझते हैं तरह तरह का ज्ञान बिना किसी ग्रन्थ को पढ़े हमारे पास न जाने कहाँ से आ जाता है .और हम विभिन मुद्दों पर अपनी गलत विचार धाराएँ गढ़ लेते हैं और भविष्य में उन्हीं को पोषित करते चले जाते हैं।आने वाली पीढ़ी को भी वही  गलत आधा -अधुरा ज्ञान प्राप्त होता है।परिणाम सवरूप हमारा विश्वास  हमारी अतुल्य संस्कृति, धर्म गर्न्थों में कम हो जाता है।जिसका नुक्सान
आज के समाज में व्यक्ति को तो उठाना पड़  ही रहा है देश भी आहात हो रहा है।हम ऋषियों की बनाई संस्कृति को बुरा जानने लगे हैं।उनको रुढ़िवादी,ढकोसले,अन्धविश्वास इतियादी मानवीय कृत्यों का नाम देने लग पड़े  हैं। आज मूर्ति पूजा को हम समय की बर्बादी और ढोंग मानते हैं। राम की वजूद पर ऊँगली उठाते हैं।शिवलिंग को पुरुष का गुप्तांग बताते हैं।देवी देवताओं को इंसानी मायनों में तौलते हैं कुरान-ऐ-शरीफ को जिहादी और काफिरों का विरोधी बताते हैं। बाइबल के हवाले से नई -नई अफवाहें फैलाते हैं। गुरु ग्रन्थ साहिब जी के बिनाह पर कई स्वार्थ पूर्ण राजनितिक फैसले ले लिए जाते हैं।  धर्मों को  आपस में जोड़ने वाला कम,तोड़ने वाले हथियार की तरह काम में लिया जा रहा है।हमारी बुद्धि पर जैसे पर्दा पड़ गया है।वहीं दुसरे देशों के लोग हमारे धर्मों रीतिरिवाजों  की विशेषताओं को ग्रहण कर रहे हैं।।।सम्मान दे रहे हैं और प्रगति कर रहे हैं .. कई विदेशी कॉर्पोरेट घरानों ने गीता के उपदेशों को निति निर्माण का हिस्सा बनाया है।लेकिन हम उन्हीं सस्कारों को घर की मुर्गी समझ,दिखावे का समान मान,इतेहसिक धरोहर की तरह प्रसिद्धि लूटने में लगे हैं।ग्रंथों  का इस्तेमाल केवल कोरे पाठों  के लिए किया जा रहा है। लेकिन उन पाठों,उपदेशों के पीछे का रहस्य किसी को भी समझ नहीं आ रहा।उन पर अमल कौन करे?हमारे लिए तो असल जिंदगी में उनका  कोई महत्व ही  नहीं है।बस हमें उन शक्तियों की याद तब आती है जब हम खुद शक्तिहीन हो जाते हैं। तब हम प्रार्थना करते हैं,मंदिरों गुरुद्वारों के चक्कर लगाते हैं।इतने में ही इति  श्री  हो जाती है। हम धर्म और अधर्म के बीच फर्क नहीं कर पा रहे।पर हम धर्मों में फर्क करना भली प्रकार से जानते हैं। और उसके लिए कोई मौका भी  नहीं गवांते।धर्म का आडम्बर नहीं होना चाहिए अधुरा ज्ञान वांछित नहीं है।धर्म के क्षेत्र में अध्जल गागर प्यास बुझाने  का नहीं,  प्यासा मारने का कार्य करता है।अतः भारत की युवापीढ़ी पर घिरे ये संकट के बादलों  को छांटने का समय है।इसके लिए एक तिनके समान प्रयास मैं "सबकी खबर" के माध्यम से करने जा रही हूँ।   कृपया आप सब इस अमुल्य कार्य में  अपना सहयोग करें।सच को सामने लाने और अफवाहों को दूर हटाने में मेरा साथ दे।आज हमारी  संस्कृति पवित्र धर्मों को हमारी ज़रूरत है।हमारा कर्तव्य है की हम उनको भली प्रकार से समझें और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं। धन्यवाद। 

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